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*विद्यालय प्रांगण सिरबोड़ा में होली महोत्सव: संस्कारों और नैतिक मूल्यों का उत्सव* 

*विद्यालय प्रांगण सिरबोड़ा में होली महोत्सव: संस्कारों और नैतिक मूल्यों का उत्सव* 

*विद्यालय प्रांगण सिरबोड़ा में होली महोत्सव: संस्कारों और नैतिक मूल्यों का उत्सव*

संवाददाता:-

भुवनेश्वर यादव महासमुंद (त्रिलोक न्यूज )

सिरबोड़ा, __ *भारतीय संस्कृति के रंगों से सजे पावन पर्व होली* का उत्सव *प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय, सिरबोड़ा* में बड़े ही हर्षोल्लास और उल्लासपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। यह आयोजन केवल रंगों की मस्ती तक सीमित न होकर विद्यार्थियों के *संस्कारों, नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक समरसता* को सुदृढ़ करने का एक प्रेरणादायक अवसर भी बना।

 

कार्यक्रम का शुभारंभ *माँ सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्वलन* से हुआ, जिसमें समस्त शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने *विद्या एवं ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया*। प्राथमिक विद्यालय के *प्रधान पाठक धर्मेन्द्र नाथ राणा* ने होली के *पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व* को विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होंने *भक्त प्रह्लाद एवं होलिका दहन की कथा*, *राधा-कृष्ण की ब्रज होली*, तथा *समाज में प्रेम, सौहार्द एवं भाईचारे की भावना* को उजागर करने वाले विभिन्न प्रसंगों को रोचक शैली में प्रस्तुत किया।

 

इसके पश्चात, *शिक्षकगण – हीरालाल साहू (संस्था प्रमुख उच्च प्राथमिक), अनीता साहू, क्षीरोद्र चौधरी एवं महेश साहू* ने क्रमशः होली पर्व से जुड़े विभिन्न पहलुओं को विद्यार्थियों के समक्ष रखा। किसी ने *होली के वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय पक्ष* पर प्रकाश डाला, तो किसी ने *सामाजिक समरसता एवं सौहार्द्र* की भावना को मजबूत करने वाले इस पर्व की महत्ता समझाई।

 

विद्यार्थियों ने भी *होली पर आधारित गानों में बच्चों ने शानदार प्रस्तुति दिए*, जिससे इस पर्व की *सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक गहराइयों को आत्मसात करने का अवसर* मिला। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण *फूलों की होली* रही, जिसमें विद्यार्थियों ने *पलाश के फूलों से एक-दूसरे को रंगारंग शुभकामनाएँ दीं*।

 

प्रधान पाठक *राणा* ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को *पर्यावरण-अनुकूल होली खेलने, जल संरक्षण, प्राकृतिक रंगों के उपयोग* और *सामाजिक सौहार्द बनाए रखने* का संकल्प दिलाया। अंत में, मिठाइयों एवं प्रसाद वितरण के साथ इस आनंदमय आयोजन का समापन हुआ।

 

विद्यालय प्रांगण में *सतरंगी उल्लास से सराबोर यह पर्व विद्यार्थियों के लिए न केवल हर्षोल्लास का अवसर बना, बल्कि उनके चरित्र निर्माण, नैतिकता एवं संस्कारों को समृद्ध करने वाला प्रेरणादायक आयोजन भी सिद्ध हुआ*।

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